हताश हूँ, निराश हूँ, उदास हूँ… माँ कहां हो तुम
खुद अपने और लोगों के झूट से थक के, और चिलचिलाती धूप मे तप्के
जब भी मैं घर आता हूँ….तुम याद आती हो…
दिन चढे तक सोता हूँ, मन ही मन मे रोता हूँ कभी कोई तो मुझको डानटे
मेरे दुख को कोई तो बाँटे
अक्सर यही सब सोन्च्ते सोन्च्ते सोता हूँ…
मेरा ज़िद्दी होना, पेसिल काग़ज़ अक्सर खोंना पैसे न मिलने पे रोना
सब कुछ अब तो छूट गया है…
मेरे बल्ले से तुम को जो चीड़ थी वो बल्ला भी अब टूट गया है….
खवाब मे ही बस एक बार आ जाओ अपनी ममता दिखला जाओ!!!
Very true................touching to heart.
ReplyDeletewellllllll composed, drawing a true image of MAAAAAAAAAA.
maa kahi bhi ho aapki har harkaton ko dekhti hogi.
ReplyDeletebeta ab bada ho gay sochakar khush hua karti hogi.........
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